तुगलक बन चुके हैं नौकरशाह, उच्च न्यायालय के आदेशों को भी दिखाते हैं ठेंगा, कैसे बचेगा न्याय और आम लोगों का भरोसा

Thejournalist
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अंबेडकरनगर : मामला जनपद के एक गाँव मथानी परगना -अकबरपुर तहसील क्षेत्र भीटी से जुड़ा है, अभी तक आपने नेताओ और मंत्रियों को कानून की धज्जियाँ उड़ाते देखा होगा लेकिन मौजूदा सरकार मे नौकरशाहों और पुलिसकर्मीयों को इतनी छूट है कि कोई भी झूठ -फ़रेब रचकर वो कुछ भी कर सकते है जिसकी उम्मीद आम आदमी कर भी नही सकता है पीड़ित रमेश कुमार ने हमारे मंडल व्युरो चीफ़ से बात करते हुए बताया कि वह मथानी गाँव के निवासी हैं उनके चाचा सीताराम जो कि पूर्व मे सचिव पद पर उच्च सरकारी सेवाएं दे चुके हैं और भ्रष्टाचार के माध्यम से अकूत संपत्ति बना रखी है सेवानिवृत्ति के बाद पीड़ित की भूमि पर जबरन भवन निर्माण कर रहे है 


पूर्व नौकरशाह दिखा रहा है दबंगई और पैसों का रौब


पूर्व सचिव से माफ़िया बने पूर्व नौकरशाह ने पीड़ित की भूमि गाटा संख्या 680 पर दबंगई के बल पर भवन निर्माण करना शुरू कर दिया, पीड़ित ने जब मामले मे बटवारे का वाद प्रस्तुत कर उप जिलाधिकारी भीटी से मामले मे दखल व न्याय की गुहार लगाई, एसडीएम ने पीड़ित पक्ष के तथ्यों के आधार पर माफ़िया द्वारा कब्जा की जा रही साथ ही पीड़ित के सभी भूमियों जिसमें पुश्तैनी गाटा संख्या - 680, 764,797,796,786,280,281 व 693 पर न्यायहित में उभय पक्षों को यथास्थिति बनाये रखने व कोई निर्माण न करने का आदेश 20 मई 2023 को पारित कर दिया , इसकी जानकारी जब माफ़िया को हुई तो उन्होंने पीड़ित पर सुलह का दबाव बनाया जाने लगा


एसडीएम का हुआ हृदयपरिवर्तन


माफ़िया को जमीनों पर हुए स्टे आर्डर की जानकारी हुई तो उसने अपने पुर्व नौकरशाह होने की हनक दिखाई और अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर उपजिलाधिकारी भीटी को अपने प्रभाव मे ले लिया, हालाँकि लोक लोलुपता वादी मौजूदा दौर मे नौकरशाहों का रातों रात हृदय परिवर्तन होना और नियम कानूनों की धज्जियो उड़ाना सामान्य घटना है, माफ़िया के प्रभाव मे एसडीएम के आने से माफ़िया ने पीड़ित को फिर से डराना धमकाना शुरू कर दिया और स्टे ऑर्डर के वावजूद भवन निर्माण जारी रहा, पीड़ित को जब लगा कि नौकरशाह- नौकरशाह मौसेरे भाई बन बैठे है तो वह न्याय की आस मे उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीड में याचिका WRIT - C NO. -5408 OF 2023 प्रस्तुत कर दखल की गुहार लगाई , जिसमे उच्च न्यायालय द्वारा एसडीएम के स्टे आदेश का हवाला देते हुए विवादित भूमि पर स्थानीय पुलिस अधीक्षक और एसडीओ को निर्देशित किया की भूमि पर यथास्थिति बनाये रखा जाए व पूर्व आदेश का पालन समुचित तरीके से कराना सुनिश्चित किया जाए, साथ ही आदेश सभी प्रकार से प्रभावी रहेगा



नौकर शाह ने मूर्खता की सीमा लांघकर उच्च न्यायालय के आदेशों को भी दिखाया ठेंगा


उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी शिकायतकर्ता ने कई बार पुलिस प्रशासन से न्यायालय के आदेश का हवाला देकर अवैध कब्जे और भवन निर्माण को रोकने की मांग की लेकिन एसडीएम और स्थानीय पुलिस ने माफ़िया के निर्माण पर रोक से साफ से इंकार कर दिया


नियमो की धज्जिया उड़ाकर एसडीएम ने लीपा पोती का किया प्रयास


जिलाधिकारी अंबेडकर नगर को IGRS द्वारा दिये प्रार्थना पत्र पत्रांक सख्या :87/IGRS/2024 दिनाँक 13 फरवरी 2024 पर एक आख्या आदेश ( जो न्यायालय द्वारा पारित आदेश या सार्वजनिक आदेश न हो) मे संदर्भित किया कि माफ़िया सीताराम मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था, मामले की जांच तहसीलदार भीटी ने की है राजस्व सहिंता 2006 की धारा 116 के अनुसार पीड़ित रमेश ने वाद एसडीएम कोर्ट मे किया था, माफ़िया द्वारा स्थगन आदेश ( स्टे ऑर्डर) का उल्लघन नही किया गया है वह गाटा संख्या 680 के 1/5 भाग पर निर्माण करवा रहा है, एसडीएम  द्वारा पीड़ित को ही गुमराह करने वाला और नियमित निर्माण कार्य मे बाधक बता दिया और साथ ही प्रतिलिपि के माध्यम से थानाध्यक्ष महरुआ क्षेत्र को निर्देशित किया कि पीड़ित रमेश यादव द्वारा माफ़िया के निर्माण कार्य मे बाधा बनने पर नियानुसार कार्यवाही करें


कैसे नियम विरुद्ध कार्यो से हो रही एसडीएम की फजीहत, चल सकता है न्यायालय का चाबुक


एसडीएम द्वारा लिखित आदेश के जरिये पहले यथास्थिति का स्टे आदेश पारित किया गया, लेकिन IGRS आख्या मे दावा किया गया है कि पीड़ित रमेश यादव ने स्टे ऑर्डर के लिए कोई कागजात ही नही पेश किये, अगर उसने कोई कागजात ही नही दिये तो एसडीएम ने आदेश क्या देखकर किया था ? खुद के कार्यो को कटघरे मे खड़ा कर रहा है नौकरशाह, यदि गाटा 680 के 1/5 भाग पर पूर्व नौकर शाह द्वारा निर्माण हो रहा है जो कि माफ़िया का हिस्सा है लेकिन SDM साहब यह बताना भूल गए कि जिस गाटे का बटवारा ही नही हुआ है किसका हिस्सा किस तरफ है जानकारी नही तो इन्हे सिर्फ प्रार्थना पत्र से कैसे पता चला कि वह विपक्षी का ही अंश है ? इसके अलावा जब पूरे गाटे जिसका रकबा 1.2160 हैं उस पर स्थगन आदेश है तो किस नियम के अनुसार भवन निर्माण हो रहा है ? यह स्वय स्वीकार कर रहे है कि पूर्व नौकरशाह द्वारा उसी गाटा के, 5 हिस्से पर निर्माण कराया जा रहा है लेकिन यह उच्च न्यायालय को ठेंगा दिखा रहे है और उसे रोक नही रहे है, आख्या मे यह भी दर्शाया गया है कि पीड़ित रमेश और अन्य को जानकारी दी गयी है कि वह स्टे आदेश मे अवरोध ना करें आवेदक संतुष्ट है, जब यह आदेश लिखा जा रहा था तभी आत्म ज्ञान से परिपूर्ण एसडीएम साहब को पता चल गया था की आवेदक सीताराम संतुष्ट है क्योकि यह संतुष्ट हैं साथ ही तहसीलदार भीटी की जांच का हवाला देकर IGRS आख्या दी गयी, जिससे न्यायालय द्वारा चाबुक चलने पर तहसीलदार की रिपोर्ट बताकर अपने अधीनस्थ को कोर्ट के क्रोध का भागी बनाया जा सके और खुद बच निकले



रिटायर व्यक्ति को घर नही बनवाने दोगे, तुम मुर्ख हो क्या


पीड़ित रमेश द्वारा जब एसडीएम भीटी से नियम विरोधी कार्यों पर सवालकिये गए तो उसे डांट कर भगा दिया कि तुम मुर्ख हो कोई रिटायर होकर आयेगा तो घर नही बनायेगा, SDM साहब को अगर उसके घर की इतनी चिंता है तो उसे अपने घर मे रहने की जगह और घर बनवाने के लिए अपनी संपत्ति मे हिस्सा दे दे, इनके अनुसार सेवानिवृत्त होने के बाद कोई अगर राष्ट्रपति भवन भी मांग ले उसे दे देना चाहिए , नौकरशाह होने से एक पूर्व नौकरशाह का दर्द इनसे देखा नही जा रहा है , पीड़ित के अधिवक्ता ने बताया कि एसडीएम और उनके सिपहसालारो द्वारा न्यायालय के आदेश की अवमानना की जिसके लिए याचिका प्रस्तुत की जायेगी ताकि इन सभी पर कठोर विधिक कार्यवाही की जाए, साथ ही पीड़ित मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार मे अपनी पीड़ा साझा करेगा 


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