मुसलमान देशभक्त नही ,भारत से सभी मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना चाहिए

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History - आज के राजनीतिक दलों द्वारा किसी भी बात पर भरोसा दिलाने लिए राजनीतिक दलों द्वारा एक ही नाम का इस्तेमाल किया जाता है वो है डॉ भीमराव ,जिन्हें संविधान निर्माता की तरह पेश किया जाता है और मुस्लिमों के बड़े नेता कश्मीर में फारुख अब्दुल्ला ,असदुद्दीन ओवैसी समेत मिम आर्मी जैसे संगठन डॉ भीमराव के नाम अपने अधिकारों की बात करते हैं आज हम आपको बताते हैं कि डॉ भीमराव की वो सोच जो इस इस दिखावे के पर्दाफ़ाश करेगी और आप समझ सकेंगे कि कौन किसका हितैषी है और कौन विरोधी 

मुस्लिम भारत छोड़े

जबकि डॉ आंबेडकर का मुस्लिम प्रेम इसी बात से झलकता है कि आजादी से पूर्व जबकि भारत और पाकिस्तान के बटवारें की बात देश के हर नागरिक द्वारा चर्चा का विषय थी तब उनकी लिखी पुस्तक ' पाकिस्तान ऑर पार्टीशन ऑफ इंडिया ' ( भारत अथवा पाकिस्तान का विभाजन ) के पेज नम्बर 323 में उन्होंने लिखा ' भारत से सभी मुसलमानो को पाकिस्तान भेज देना चाहिए ,उसी तरह हिंदुओ को भारत मे आ जाना चाहिए उसके लिए हमारी सरकार को टर्की एवं ग्रीस के मध्य हुए 1923 के समझौते पर ध्यान देना चाहिए ये उदाहरण है कि किस तरह सभी ईसाई ग्रीस चले गए और मुस्लिम टर्की में स्थापित हुए जनता के तबादले के मजाक उड़ाने वालो को इस संधि का गहन अध्ययन करना चाहिए शांति स्थापित करने का यही एकमात्र तरीका है कि हिंदू और मुसलमानों को सरंक्षण देने के उपाय खोजने की बजाय जनसंख्या की अदला बदली की जाए यदि टर्की , बुल्गारिया , ग्रीस जैसे कम संसाधन वाले देश ऐसा कर सकते हैं तो हमे भी ऐसा करने में गुरेज नही होना चाहिए 


मुसलमानों में देशभक्ति नही

इसी पुस्तक के पेज नंबर 332 में उन्होंने लिखा है कि  ' इस्लाम एक खिड़की की तरह है जो मुसलमानो और गैर मुसलमानों में भेदभाव करता है इस्लाम मे जिस भाईचारे का ज़िक्र है वो मानवता का भाईचारा नही है उसका मतलब सिर्फ मुसलमानो से मुसलमानों का भाईचारा है मुस्लिमों के भाईचारे का फायदा सिर्फ मुसलमानो को ही मिलता है दुनिया मे जो भी ग़ैर मुस्लिम हैं चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो उसके लिए इस्लाम मे सिर्फ घृणा और नफ़रत ही है मुसलमानो की वफादारी कभी उस देश के लिए नही होती जिसमें वो रहते हैं जबकि उनकी वफ़ा सिर्फ उस कौम तक सीमित है जिसका वो पालन करते है ' 

 डॉ भीमराव के लिखे इन शब्दों से ये पता चलता है वह मुसलमानो के बारे में क्या विचार रखते थे आज भिम- मिम की बात करने वाले कितने खोखले दावे करते हैं इसी से स्पष्ट हो जाता है 


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