अयोध्या : जनपद के फर्जी मुकदमो, अपराधो, आम जनता के शोषण और अत्याचार के लिए मशहूर इनायतनगर पुलिस की एक नई कारस्तानी सामने आई है जो नौकरशाही जाहिलियत को बेनकाब करती है क्षेत्र के पीड़ित शिकायतकर्ता निवासी ग्राम - निमड़ी, थाना - इनायतनगर निवासी ने हमारे व्युरो से बात करते हुए बताया कि वह समाज का अति गरीब व्यक्ति हैं उनकी छोटी सी गुमटी है जिसमे पान मसाला इत्यादि बेचकर गुजर - बसर करते है पास मे ही माफ़िया व दबंग सत्येंद्र यादव का गैरेज है दिनाँक 17 दिसम्बर 2023 को शिकायतकर्ता की 17 वर्षीय नाबालिग पुत्री अपने महाविद्यालय अपनी परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र लेने घर से निकली थी
नाबालिग का अपहरण और गैंगरेप महीनों बाद नही हुई एफआईआर
17 दिसम्बर को माफ़िया सत्येंद्र अपने गुर्गो और ड्राइवर के साथ महाविद्यालय जाती हुई छात्रा का अपहरण कर लेता है शिकायतकर्ता के अनुसार उसका सामूहिक ब्लात्कार कर उसे शाम को गाँव के बाहर फ़ेक दिया गया, नाबालिग पीड़िता ने एक ग्रामीण की मदद से अपने पिता को फोन कर अपने साथ हुए जघन्य अपराध की जानकारी दिया, पीड़िता के पिता द्वारा थाने पर लिखित शिकायत दी गई
पुलिस माफ़िया ने शिकायतकर्ता का छीना फोन, बोले 3 लाख लो भूल जाओ मसला नही तो देनी होगी जान
माफ़िया के रसूख के सामने घुटने टेक चुकी इनायतनगर पुलिस ने पीड़ित पिता की शिकायत जब कोई कार्यवाही नही की तब पीड़ित ने मुख्यमंत्री शिकायत हेल्पलाइन 1076 पर फोन कर शिकायत दर्ज करा दी, उच्च अधिकारियों तक शिकायत पहुँचने पर जब थाने पर कार्यवाही का दबाब बना तो गरीब पीड़ित का फोन ही पुलिसकर्मियों ने छीन लिया, माफ़िया के सहयोगी पुलिसकर्मियों द्वारा शिकायतकर्ता को 3 लाख रुपये लेकर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया , शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत वापस नही लेने पर भड़के माफ़िया ने कहा जो दे रहे हैं लै लो नही तो किसी और को देकर पूरे खानदान की खोपड़ियां मे गोली घुसवा दूँगा
भड़के माफ़िया ने शिकायतकर्ता पर किया जानलेवा हमला, पुलिस ने फर्जी मुकदमे मे बेगुनाहो को फँसाया
माफ़िया के दबाव मे नही आने पर दिनाँक 10 फरवरी को माफ़िया सत्येंद्र और उसके गुर्गो ने शिकायतकर्ता पर लाठी- डंडो और लोहे की रॉड से हमला किया और उसे मृत समझकर सड़क पर छोड़कर चले गए, ग्रामीणों की मदद से जब वह थाने पहुँचा तो पुलिस ने पीड़ित के सहयोगियों पर उसे पीटने , जान से मारने की धमकी देने का फर्जी मुकदमा दर्ज कर व माफ़िया को पीड़ित बताकर, दुर्दांत अपराधी को बचाने का भरसक प्रयास किया है ताकि पीड़ित परिवार की कोई मदद भी ना करे, यहाँ तक जानलेवा चोटे होने पर भी पुलिस द्वारा कोई उसका मेडिकल भी नही कराया गया, पीड़ित के सिर मे 10 और चेहरे पर 4 टांके लगे है लोगों की मदद से जिला चिकित्सालय मे कई दिन इलाज करवाने के बाद 16 फरवरी शुक्रवार को पीड़ित को अस्पताल से अवकाश दे दिया गया है पीड़ित के अनुसार उसे लगातार अभी तक चक्कर आ रहे है शुक्रवार को एसएसपी से मिलने गया शिकायतकर्ता वही बेहोश हो गया
अब देखिये क्या होगी लीपापोती
अपने सिपहसालारों को बचाने मे तल्लीन रहने वाले एसएसपी पर सबकी नज़र बनी हुई क्या पीड़ित परिवार और नाबालिग अपहरण और सामूहिक ब्लात्कार का खौफ झेल चुकी पीड़िता को न्याय मिलेगा यह तो समय बताएगा लेकिन लगातार बढ़ते पुलिसिया अपराध और उन पर कोई कार्यवाही ना होना हर रोज हो रही न्याय की हत्या के संकेत देते है