बार एसोसियशन के वार्षिक चुनाव मे पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा प्रत्याशी पारसनाथ पाण्डेय ने अधिवक्ता हितों के हर मुद्दे पर रखी बात

Thejournalist
0

 अयोध्या : जनपद मे बार एसोसियशन के वार्षिक चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद पूर्व अध्यक्ष पारसनाथ पाण्डेय फ़िर से एस बार चुनावी मैदान मे हैं 6 नवम्बर को वोटिंग होना सुनिश्चित है अधिवक्ताओं द्वारा वोट दिये जाने है लेकिन अपनी प्रबल दावेदारी के चलते श्री पाण्डेय चर्चा का केंद्र बने हुए है

 उनका पिछला कार्य काल भी निर्विवाद रहा है चुनावी चर्चा के बीच हमारे व्यूरो के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने अपनी बेबाक राय रखी है जिसका अंश हम आपको बता रहे हैं ~


क्या - क्या हैं मौजूदा चुनावी मुद्दे ?


हमारे लिए अधिवक्ता हित सर्वोपरि है उसी के लिए सारा संघर्ष है जो आजीवन जारी रहेगा, चुनाव तो हर वर्ष आते रहते हैं पद होने से अधिकारों का विस्तार तो होता है लेकिन हम हमेशा अधिवक्ता बंधुओ की आवाज़ को सही दिशा के साथ उठाने का प्रयास करते रहते हैं अधिवक्ता साथियों का सहयोग मिला तो यकीनन उस आवाज़ को फ़िर से ताकत मिलेगी नई कार्यकारिणी बनते ही सभी विषयों पर विचार किया जायेगा, अधिवक्ता हितों के लिए नये नियम तैयार होंगे, इसके अलावा शासन से हमारी मांग जारी रहेगी जिसमे सर्वप्रथम अधिवक्ता साथियों के लिए जमीन का आवंटन कर सभी के लिए अधिवक्ता चैंबर/कार्यालय दिया जाना आवश्यक है 5 वर्ष से कम की प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ताओं को 50 हजार रुपये का एक मुश्त अनुदान दिया जाना चाहिए जिससे अधिक ज्ञानार्जन के लिए वह अधिक पुस्तको का संकलन कर सके , इससे हमारे जिलों और प्रदेश में अच्छे और जानकार अधिवक्ताओं मे बढ़ोत्तरी होगी, यह क्रम कमजोर तबके से जुड़े अधिवक्ताओं को अधिक सहयोग प्रदान करेगा |


परिसर मे दलालों की रोकथाम के लिए क्या प्रयास किये जाने की तैयारी है ?


यह सर्व विदित है कि परिसर मे दलालों की संख्या मे बढ़ोत्तरी हुई है उनके कार्यो से अधिवक्ताओं की भी छवि धूमिल होती है इसमें कई प्रशासनिक अधिकारियों की भी सहभागिता है क्योंकि वह स्वय भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं उन पर भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि बिना वकालतनामा लगी फाइलों मे आदेश पारित कर देते हैं उनके खिलाफ मोर्चा खोलना जरूरी है और उन्हें हटाया जाना लोक हित मे अति आवश्यक है |


महिला अधिवक्ताओं के लिए अलग चैंबर की व्यवस्था के लिए भी होती रही है चर्चा


हमारे यहाँ जो भी 50 से 60 महिला अधिवक्ता हैं उनके लिए चैंबर नही दिये जाने का सवाल ही नही है वह उनका अधिकार है जो जरूर दिया जाना चाहिए और दिया भी जायेगा |


 कहा जा रहा है कई बार अनावश्यक हड़ताल भी होती रही है


हड़ताल हमेशा अधिवक्ताओं के मुद्दों पर होती है जब भी शासन या प्रशासन हमारा सहयोग नही करता है और अधिवक्ताओं के अधिकारों का हनन होता है तभी हमारे एसोसिएशन द्वारा हड़ताल की जाती है 


स्वर्गवासी अधिवक्ताओं के परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि कुछ लोगों को कई महीने बीतने के बाद भी नही मिल सकी है?


नियमानुसार जो भी देने लायक होता है उसे दिया जाता है जो भी नियमतः आये है उन्हें मिलना चाहिए , जिन्हें नही मिला है गलत है उन्हें दिया जाना चाहिए, हम आयेंगे तो जरूर उनके हित मे काम करेंगे |


नये अधिवक्ताओं को रजिस्ट्रेशन संबधित कुछ समस्याएं है अधिकतर का मानना है शुल्क बहुत अधिक बढ़ा दिया गया है?


कम या ज्यादा का फ़ैसला हमेशा कार्यकारिणी ही करती है जो भी नये पढ़े लिखे युवा आते हैं उनके लिए आर्थिक समस्या तो रहती ही है फ़ीस ज़्यादा तो है उस पर विचार किया जाना आवश्यक है |


नई कार्यकारिणी के लिए बार के राजस्व मे बढ़ोत्तरी भी बड़ा मुद्दा होता है उसके लिए क्या रणनीति होगी?


बार का राजस्व हमेशा की अधिवक्ता बंधुओ से लिए जाने वाले चंदे से आता है यही एकमात्र सस्था के राजस्व बढ़ोत्तरी का साधन है चंदे की वसूली के लिए जो मौजूदा व्यवस्था है वह पर्याप्त नही है उसमे सुधार किया जाना चाहिए, बार की तरफ से नये अधिवक्ताओं के लिए शेड, बिल्डिंग का निर्माण किया जाता है उसके रख रखाव , रंग रोगन मे बड़ी धनराशि खर्च होती है सरकार का इसमे कोई सहयोग ना होना दुर्भावना से प्रेरित है हमारी उनसे माँग होनी चाहिए 


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();