आरोपी को न्यायालय ने किया दोषमुक्त लेकिन पुलिसिया कारगुजारी से मृतक पीड़िता नही मिल सका न्याय

Thejournalist
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अयोध्या :जनपद मे 27 जुलाई 2023 को एक आरोपी घनश्याम उर्फ़ धनु को उसके उपर लगे आरोपो मे निर्दोष माना गया है जबकि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण फैजाबाद के निर्देशन में कार्यरत चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल की तथ्य सहित बहस से अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ई0सी 0 एक्ट ने सन 2013 के एक हत्या के मुकदमे में आरोपी घनश्याम उर्फ घन्नू को इस जघन्य आरोप से दोषमुक्त कर दिया है घटना दिनांक 26 11 2012 की है जब मृतका के भाई राहुल पुत्र अजय कुमार निवासी ग्राम सुखावां थाना पुरा कलंदर जनपद फैजाबाद ने शिकायत दर्ज कराई  कि जब उसका पूरा परिवार ट्राली लाने मड़हा खेत गया हुआ था और घर पर उसकी बहन अकेली थी और उसके घर में काम कर रहे मजदूर दिन में 1:00 बजे घर चले गए थे तो उसी समय उसे गांव के टिक्कू द्वारा शिकायतकर्ता को जल्दी घर आने को कहा गया घर आने पर उसने देखा कि घर में आस पास के काफी लोग इकट्ठा हैं और उसकी बहन घायल अवस्था में तख्ते पर बैठी थी वह सीने से नीचे आगे पूरी तरह जली हुई थी उसके शरीर में कुछ जगह चोट के निशान थे साथ खून भी बह रहा था, जिसके बाद लोगों की मदद से उसकी बहन को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया

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 लेकिन दौरान इलाज दिनांक 9 /12 /2012 को उसकी मौत हो गई मृतका ने अपने बयान में कहा था कि दो अज्ञात लोग आकर आंखें बंद कर दिए दूसरे ने पैर पकड़ लिया और उनके पास बड़ा सा धारदार हथियार था पहले उसे तेल डालकर जलाने का प्रयास किया गया, इस बयान के बावजूद पुलिस ने फर्जी गवाह तैयार करके न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया और फर्जी तरीके से आधार बनाकर निर्दोष अभियुक्त घनश्याम उर्फ घन्नू के विरुद्ध हत्या जैसे जघन्यतम् अपराध में जेल भेज दिया, बाद में आरोपी घनश्याम के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय द्वारा उसे विधिक सहायता प्रदान किए जाने का दायित्व चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल को दायित्व सौंपा जिनके द्वारा आरोपी घनश्याम उर्फ धन्नू की ओर से पैरवी करते हुए अपने तर्कपूर्ण बहस से पुलिसिया कहानी को पूरी तरह फर्जी व दुर्भावनापूर्ण और निराधार साबित कर दिया, जिस कारणन्यायालय उनके तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया है आरोपी के खिलाफ पुलिस ने 8 साक्ष्यों को न्यायालय मे उपलब्ध कराया गया तथा फर्जी तौर पर आरोपी से कथित बरामद की गई कुल्हाड़ी को भी न्यायालय में प्रस्तुत किया,

जबकि आरोपी को संदेह का लाभ मिला और उसे आरोपों से मुक्त किया गया

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