हत्या के आरोपियों को बचाने के लिए शिक्षा माफिया दबाव बनाने का कर रहा है प्रयास, लाखों नौनिहालो और परिवारों पर थोपा जा रहा जबरन तानाशाही आदेश

Thejournalist
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 संपादकीय : मामला प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के एक प्राइवेट स्कूल से जुड़ा है जहाँ श्रेया तिवारी नाम की बालिका ने स्कूल की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली है मामले में प्रिंसिपल और अध्यापक की गिरफ्तारी के विरोध में उत्तर प्रदेश प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के आवाहन पर प्रदेश के सभी विद्यालयों के प्रिंसिपल ने स्कूल बंद करने का निर्णय लिया गया है ऐसा दावा किया जा रहा है

 आरोपो के अनुसार स्कूल मे पढ़ने वाली कक्षा 11 की छात्रा श्रेया तिवारी के बैग में मोबाइल फोन मिलने पर स्कूल प्रशासन द्वारा नियम, कायदे कानून के नाम पर उसे इतना प्रताड़ित किया गया कि बालिका यह अपमान बर्दास्त ही नही कर सकी, क्षुब्ध और पीड़ित छात्रा ने विद्यालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली जिसके बाद उसके परिजनों द्वारा उस को न्याय दिलाने की मांग की जा रही है तो दूसरी तरफ आरोपी प्रिंसिपल और अध्यापक को न्याय दिलाने के नाम पर शिक्षा माफिया द्वारा दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है उत्तर प्रदेश प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा बिना जांच के प्रिंसिपल और अध्यापक की गिरफ्तारी को गलत बताया है जबकि एसोसिएशन इतने दावे से कैसे कह सकता है कि पुलिस ने जाँच नही की और एक रसूखदार स्कूल के प्रिंसिपल को बिना तथ्यों के गिरफ्तार कर लिया, जबकि यही एसोसिएशन मासूम बच्चों और उनके साथ हो रही लूट खसोट पर भी स्कूलों का समर्थन करता है प्राइवेट स्कूल सुविधा के नाम पर महंगी से महगी फीस लेते है प्रदेश मे सिर्फ फीस की बात की जाय तो पहली क्लास मे पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों से प्राइवेट स्कूल अमूमन 1 हजार से लेकर 40 हजार रुपये प्रतिमाह तक वसूलते है अलग अलग प्रकाशन की पुस्तकों मे अधिक कमीशन देने वालो को चुनते हैं और परिजनों को निश्चित दुकानों से पुस्तकें, ड्रेस और जूते तक खरीदने को मजबूर करते है कुछ तो स्वय स्कूल मे वस्तुओ की बिक्री करते है ये शिक्षा माफिया की ही ताकत है कि आम आदमी को सिर्फ जाँच के नाम पर जेल मे ठूस दिया जाता है और महीनों और शायद कभी कभी वर्षो लग जाते है ये पता चलने मे कि क्या वह सच मे गुनाहगार है या नही ? जबकि माफिया अपने लिए अलग नियम चाहता है क्योंकि वो खुद को कानून से ऊपर समझता है प्राइवेट एसोसिएशन ने गैर संवैधानिक तरीके से फरमान जारी किया है कि प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूल 8 अगस्त को बंद रहेंगे , जबकि बच्चों और अभिभावकों का पूरे प्रकरण से कोई लेना देना नही है उनको इसमे घसीटना नाइंसाफी है लेकिन शिक्षा माफिया अपनी ताकत दिखा रहा है ये लोग उन करोड़ो परिवारों को चिढ़ा रहे कि देखो तुम जज हो या कमिश्नर, अधिकारी हो कर्मचारी लेकिन तुम्हारे बच्चे हमारे यहाँ पढ़ते है तो तुम्हारी कोई क्षमता नही रह गई है तुम भी आम आदमी को डराते हो और हम भी, और यही तुम्हारे साथ होगा, सिर्फ तुम्हे मौका देना है कल तुम्हारे बच्चे भी छत से कूदेंगे और तुम भी सड़क पर उसी तरह प्रदर्शन करोगे शायद उस दिन गिड़गिड़ाना भी पड़े तैयारी करो , एक बालिका जो उसी स्कूल मे पढ़ती है वो छत से कूद जाती है तो जाँच के बीच मे प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के आने का औचित्य है अब क्या इस देश मे जाँच -पड़ताल भी नही होगी क्या ? इनको हत्याओ मे भी वीआईपी सुविधा क्यो चाहिए? जिन परिवारों के बच्चे मर जाते है ऐसे हालातों मे उनकी बात कौन करेगा ? हो सकता है कल लोगों के ईमान और सिस्टम खरीद लिया जाए और उस मरी हुई लड़की के चरित्र पर सवालिया निशान लगाकर ,तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर या कहानिया बनाकर माफिया ऐसे लोगों को बचा ले फिर भी याद रखिये, देश के हर घर मे बच्चे हैं और शिकार कभी भी, कोई भी हो सकता है 


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