चकबंदी कार्यालय मे जम कर होती हैं धन उगाही, दलालों के जरिये चल रहा है भ्रष्टाचार का खुला खेल

Thejournalist
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 अंबेडकरनगर/अकबरपुर: मामला जनपद के भीटी तहसील से जुड़े चकबंदी कार्यालय का है जहाँ चकबंदी गाँवों से जुड़े विवादो का निपटारा किया जाता जिसके लिए तहसील से अलग कर्मचारी व अधिकारी होते है यहाँ पर चकबंदी ग्रामों का लेखा जोखा उपलब्ध होता है और किसी भी चकबंदी ग्राम का रिकार्ड online या किसी अन्य माध्यम से आपको पता नही चल सकेगा,सरकार द्वारा दी गई इस अकूत ताकत का फ़ायदा लेखपाल लोग माफ़िया, दबंगो,अपराधीयों की सेवा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते के लिए करते हैं कहने को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने के बाद प्रदेश मे भ्रष्टाचार समाप्त हो गया लेकिन यह सिर्फ जुमलेबाजी के अलावा कुछ नही है, यह वही जिला है जिसे पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के राज मे विशेष दर्जा मिला था नाम भी बदल दिया था

और उनके नेताओ ने अपराध, फर्जी मुकदमो और भ्रष्टाचार मे इसे रिकार्ड तोड़ उपलब्धियां दिलवाई थी वही क्रम आज भी जारी चकबंदी न्यायालय होने से यहाँ अधिकारियों को होना चाहिए जबकि यहाँ दलालों का जमावड़ा रहता है कई लेखपालो ने यहाँ दलालों को अपने सहयोग के लिए रखा हुआ है जो सरकारी दस्तावेज आम लोगों को संवेदनशील बताकर नही दिखाये जाते है उनका लेखा जोखा दलाल ही रखते है, जिस कृषि उपयोग की भूमि का दाखिल खारिज निशुल्क होना चाहिए उसके लिए 10 हजार का रेट फिक्स है, 


अधिकारियों द्वारा जान बूझकर ग्रामीणों के काम को लटका दिया जाता है "पूछने पर दौड़ाया जाता है और कहा जाता है कि गलत काम करवाना चाहते हो तुम्हे जल्दी क्या है" उसके बाद दलाल उन्हे काम का रेट बताते है पैसे दलालों द्वारा लिए जाते है ताकि लेखपालो व अधिकारियों पर आंच ना आ सके, पैसे मिलते ही वही अधिकारी जो ग्रामीणों को बिना वजह दौड़ा रहा होता है उसकी सारी समस्या खत्म हो जाती है, दलालों द्वारा लेखपाल,नायाब चकबंदी, सीओ चकबंदी और उन अधिकारियों के नाम पर भी काम कराने के लिए पैसे वसूले जाते है जो वहाँ बैठते भी नही है और वह काम कर देता है भ्रष्टाचार का यह नंगा नाच दशकों से जारी है जो अब भी चल रहा है पिछड़ा क्षेत्र होने से ग्रामीणों का शोषण खुलेआम हो रहा है और शासन कुंभकर्णी निद्रा मे लीन है 



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