भीमराव ने बहुजन उत्थान के नाम पर थोपा आडम्बर

Thejournalist
0

राय : डॉ भीमाराव जिसमें पेलेट्रिज के मसीहा और एक फैंटेसी समाज (बहुजन) के नेता को उनके उस समाज के बारे में बताया जाता है जिसे वह बहुजन कहते हैं कि उनमें से सिर्फ पर्टैलिटिज ही शामिल थे क्यों आज उन्हें समझने का प्रयास कर रहे हैं  

इसके लिए संवैधानिक (अनुसूचित आय) आदेश, 1950 जारी किया गया, जिसमें भारत के 29 राज्यों की 1108 जातियों के नाम शामिल हुए थे, हालांकि ये तादाद आप में काफी ज्यादा है

फिर भी दृष्टांतों की इस संख्या से जाली जातियों की जाति का तरीका नहीं होता क्योंकि ये जातियां भी, समाज में ऊंची-नीच के होश से तमाम उप-जातियों में बंट गई हैं आपस मे जुड़ना शामिल ना होना , साथ में भोजन नहीं करना एवं विवाह नहीं करना जैसे भेदभाव करते हैं

ब्राह्मणों ने वर्ण, फरलाया भेदभाव बनाया है 

भीमराव के पाखण्ड में सबसे बड़ी भ्रान्ति यह थी कि वो हमेशा ब्राह्मणों पर यह देश देश आरोप लगा रहे हैं। जबकि हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार वर्णो का कुल कर्म पर था जन्म से उनका कोई पर्याय नहीं था जब उन्होंने दूसरा विवाह किया तो उनकी पत्नी सविता कबीर ब्राह्मण की बेटी थी इसी बात को अपने रूप में उन्होंने कहा कि जब ब्राह्मण ने अपनी बेटियों के विवाह संबंधी दस्तावेज से क्या इससे समाज से भेदभाव समाप्त हो जाएगा, जबकि भीमराव को यह पता चल गया था कि पत्र-पत्रिकाओं में सैकड़ों जातियां और उप-जातीय लोग हैं जो आप मे ही सूचना छूट और भेदभाव करते हैं और आप में विवाह नहीं करते हैं ना पर्टिलिटी समाज मे भर्ती इस भेदभाव को समाप्त करते हैं करने का प्रयास ना कुरीतियों का विरोध कर दलित वर्गों और उप जातियों को समाप्त करके उन्हें एक सूत्र में एकत्र करने का प्रयास किया 

OBC और मुस्लिम प्रेम का झूठा दिखावा 

डॉ भीमराव को पता था कि मुस्लिम समाज भी सैकड़ों जातियों और उप जातियों में बटा हुआ है मुस्लिम दलितों की स्थिति बहुत ही दयनीय है , जो लोग किसी और धर्म से धर्मपरिवर्तन कर मुस्लिम बनते हैं उनको दलित समझकर भेदभाव और छुआ छूट का भेदभाव किया जाता है मुस्लिम दलितों की 90% आबादी धर्मपरिवर्तन करके आये लोगों की है लेकिन उन्होंने आरक्षण का खाका तैयार होते समय मुस्लिम आरक्षण का विरोध किया , हिंदुओ में आरक्षण मिलने ने दलित , जाति प्रमाणपत्र लेकर घूमने लगे जिससे समाज मे भेदभाव बढ़ा लोगों को पता थे कि वो किस जाति से है , जबकि मुसलमानों में जातिगत तौर पर फैले भेदभाव के बारे अधिकतर लोग नही जानते हैं कि मुस्लिम समाज मे दलित मुसलमानो और दलित हिंदुओ के प्रति कितनी घृणा है और उनके अधिकार आज भी सीमित हैं यहाँ तक कि सबके पूजा स्थल ( मस्जिदें ) भी अलग अलग होती हैं और दूसरों को वहां जाने पर पाबंदी होती है , आरक्षण का मुख्य उद्देश्य हिंदुओ को तोड़ना ही था जबकि मुसलमानों की स्थित दयनीय होने पर भी उन्हें आरक्षण में शामिल नही किया गया

भीमराव को OBC का मसीहा बताना किसी धूर्तता से कम नही है क्योंकि संविधान निर्माण के समय भी इनके द्वारा सिर्फ दलितों के अलावा अन्य सभी समुदायों के विरोध किया गया आज़ादी के समय OBC जातियों की संख्या सीमित थी जबकि OBC को आरक्षण 1990 में मंडल आयोग की सूची जारी होने के बाद दिया गया और उनकी जातियां बढ़कर 2663 हो गई इसके बावजूद देश में आरक्षण को लेकर विभिन्न वर्गों में असंतोष बरकरार है। केंद्र की सूची में कुल 2663 ओबीसी जातियों में से 19 जातियों को ओबीसी आरक्षण का पूरा फायदा नहीं मिला है 25 प्रतिशत जातियां 97 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ले रही हैं। इसके अलावा 983 जातियां ऐसी हैं, जिन्हेंं आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला है

हिन्दू समाज मे सिर्फ 4 वर्णों के उल्लेख है अगर ब्राहमणों ने जातियों का निर्माण किया होता तो आज़ादी के बाद दलित और OBC समाज मे जातियों की संख्या कैसे बढ़ती रही ? क्या भीमराव ने इन्हें समाप्त करने का प्रयास किया ?

 दलितों को पढ़ाई का अधिकार नही 

देश के 90% दलित को ये नही पता है कि आज़ादी के पहले देश की क्या स्थिति थी लेकिन भीमराव के झूठे आडम्बर और दावों को लेकर वो 1000 साल पहले के इतिहास का दावा करतें हैं  सबके जिम्मेदार ब्राहमण थे जबकि देश मे 800 वर्ष मुगलों ने राज किया , उसके बाद 200 वर्ष अंग्रेजो ने और 70 साल से भीमराव का शासन है उन्होंने कहा कि दलितों को पढ़ाई करने का अधिकार नही था जबकि भीमराव खुद पढ़े लिखे थे और दलितों के उस समय के अधिकतर नेता भी पढ़े लिखे थे तो क्या आज समाज मे फैली कुरीतियों के लिए भीमराव की जिम्मेदार माना जाना चाहिए क्योंकि आजादी के बाद भीमराव के कथित संविधान का शासन है

भीमराव ने जिस बौद्ध धर्म को जातियों से मुक्त बताया था वो भी तीन वर्णों ( ब्राहमण , क्षत्रिय और शूद्र ) में विभाजित है 


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();