अखबार जिस मूल्य पर आपको प्राप्त होते हैं उतने में तो उनकी लागत और कर्मचारियों की तनख्वाह तक नही निकल सकती है इनकी मुख्य कमाई का जरिया होता है विज्ञापन ,
जो व्यापारियों , कंपनियों के ऑफर के विज्ञापन , शादी - विवाह के विज्ञापन , शोक संदेश , सरकारी और गैर सरकारी विज्ञापन, निविदाएं , भर्तियां , व्यूटी प्रोडक्ट , नौकरियों के आवेदन , प्रॉपर्टी और रियल स्टेट से जुड़े विज्ञापन से अखबारों के कई पेज भरे मिल जाते हैं

होती है ठगी लेकिन अंधी है सरकार व्यवस्था
हर तरीके के विज्ञापन के साथ साथ कुछ ऐसे विज्ञापन होते हैं जैसे अपने घर टॉवर लगवाए करोड़ों पाए , प्रधानमंत्री की ये योजना बिना कुछ किये बनें करोड़पति , बिना सर्टिफिकेट के लोन और सबसे कमाल के होते हैं काला जादू , अंधविश्वास फैलाने वाले विज्ञापन जिसे स्पष्ट दावा किया जाता है प्यार में धोखा खाये लोग आओ , मुकदमा जीतो , गृह क्लेश , जादू टोना, सौतन से छुटकारे जैसे विज्ञापन ,गुप्त रोग से जुड़े विज्ञापन, अखबारों का भरोसा करने वाले इन धोखाधड़ी वाले विज्ञापनो में आसानी से फॅस जाते हैं और अपनी जमा पूंजी खो देते हैं , अखबार बोलते हैं कि विज्ञापनो पर भरोसा करना आपके स्वविवेक पर निर्भर है किसने विज्ञापन दिया हमे नही पता , वैसे भी आजकल के दौर में ऑन लाईन विज्ञापन देने की व्यवस्था है और ठगी भी ऑनलाइन की जाती है उन्हें फोन करिए , अकाउंट में पैसे भेजिए और हर समस्या से मुक्ति पाइए , ठगी का शिकार होने वाले अधिकतर लोग पुलिस के पास नही जाते हैं क्योंकि देश मे कानूनी प्रक्रिया बहुत जटिल है , पुलिस प्रशासन भी साइबर एक्सपर्ट को सैलरी नही दे सकती है जो लोग पुलिस तक जाते हैं वो भी कुछ ही दिनों में थक हार जाते हैं और यह ठगी का व्यापार बढ़ता ही जा रहा है
प्रशासन और शासन या न्यायालय किसी को नही दिखता सच
देश का ऐसा कोई विभाग नही है कार्यपालिका हो या न्याय पालिका , चपरासी से लेकर जिलाधिकारी , न्यायाधीश हो या मुख्यमंत्री सबकी मेज पर होते हैं अखबार लेकिन कभी प्रशासन हो या शासन या न्यायालय किसी ने स्वतः संज्ञान लेकर ना तो मुकदमा दर्ज करवाया ना तो ठगों को पूछा कि दुनिया की सारी समस्या का समाधान उनके पास कैसे है
देश भर में ठगों का राज
जिन्हें लोग छोटा मोटा ठग और बंगाली बाबा समझते हैं उनके पास अरबो को संपत्ति होती है दिल्ली से लेकर कन्याकुमारी और कश्मीर में सड़कों के किनारे बसों , ट्रकों , रेलवे की बोगियों में ठगों के पोस्टर और स्टिकर लगे होते हैं लाखों रुपए हर महीने वो पब्लिसिटी पर खर्च करते हैं लेकिन इन्कम टैक्स नही भरने पर आम आदमी को नोटिस आ जाता है लेकिन इनकी अकूत संपत्ति पर ना छापा पड़ता है ना अंधविश्वास फैलाकर ठगी का मुकदमा दर्ज होता है ना लगाम लगाने की कोशिश की जाती है हमारे देश मे सिर्फ कानून बनाने की मांग की जाती है उन्हें लागू करके जनता के हितो के लिए स्थापित करना एक सपने जैसा ही है