अंधी है सरकार व्यवस्था , अंधा है कानून

Thejournalist
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Research : भारत ऐसा देश जहां महिलाओं और बच्चों के सम्मान के लिए कन्या पूजन जैसे प्रथाओं का आरंभ किया गया हजारों आंदोलन किये गए और रूढ़ियों को खत्म किया गया , हमने अपनी हर गलती को स्वीकार किया और हर बार जातिगत और धार्मिक आडम्बर को समाप्त करने का प्रयास किया बहुविवाह , सतीप्रथा , दास प्रथा , छुआ छूत , भेदभाव को मिटाया लेकिन क्या वो बदलाव आ सका जिसकी हम कल्पना करते है क्या जो स्थित अभी है वो सही है ,हमारे राजनेताओं की वोटनीति का दावा कितना सही है ये जानना जरूरी है 

देश मे होती है मानव तस्करी और देह व्यापार 

मानव तस्करी और देहव्यापार भारत ही नही दुनिया के सबसे पुराने व्यापार में शामिल है आज 21वी सदी के भारत मे भी ये व्यापार बहुत फल फूल रहा है देश के हर जिले में इस अपराध की शाखाएं हैं सरकार कितने भी दावे करे लेकिन कारपोरेट मीडिया सहित पुलिस और प्रशासन को भी इसकी जानकारी होती है लेकिन आँखे बंद कर लेने से दुनिया नही बदलती देश मे मानव तस्करी और देह व्यापार को घृणित अपराध की श्रेणी में माना जाता है इसे रोकने के लिए कानूनों की एक फेहरिस्त बनाई गई है लेकिन उससे क्या होगा या अभी तक क्या हुआ 

देश मे हर 8 मिनट में एक बच्चा और प्रति घण्टे 6 बच्चे गायब 

भारतीय क्राइम रिकॉर्ड व्यूरो के आंकड़ों के अनुसार देश मे लगभग हर 8 मिनट में 1 बच्चा लापता हो जाता है हर रोज लगभग 30 बच्चे व बच्चियों का यौन शोषण होता है जिसमें से सिर्फ 44% बच्चे ही वापस मिल पाते हैं सरकार कभी ये नही बता सकी की देश के 55% लापता बच्चे मृत है या जीवित वो मृत है तो उनकी लाश कहाँ है उन्हें आसमान निगल या जमीन खा गई उन्हें ढूढने या इस दुर्व्यवस्था को बदलने का क्या प्रयास किया गया ये सबके सामने हो रहा है लेकिन ना सरकार ने इस व्यवस्था को बदलने की कोशिश की ना उन सिसकियों को सुना जाता है जो हर रोज भीड़ में दब जातीं हैं देश की राजधानी दिल्ली हो या मुंबई या पश्चिम बंगाल की मानव तस्करी और देहव्यापार की मंडिया ये सबकी आखों के सामने है राज्य सरकार से लेकर केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालय जिनके पास स्वतः संज्ञान में लेकर इन कुकृत्यों पर रोक लगाने का अधिकार है लेकिन उन्हें महिला सशक्तिकरण की याद सिर्फ चुनावों में ही आती है

विदेशों से जुड़े हैं तार

देश मे गायब होने वाले बच्चों और लड़कियों का देश मे देहव्यापार कराया जाता है उन्हें देश के कई हिस्सों में बेचकर पैसे कमाए जाते हैं ऐसे मामले सामने आते ही कुछ चुनिंदा लोगो को पकड़कर सभी का छोड़ दिया जाता है क्योंकि सभी जानते हैं ये व्यापार खरबों डॉलर का है जो बिना लोकल पुलिस और राजनेताओं की शह के बिना नही चल सकता है देहव्यापार के अलावा मानव अंगों की तस्करी भी एक मुख्य कारण है जिसमें बड़े बड़े व्यापारी और अस्पताल भी शामिल हैं विदेशों में मेडिकल सुविधाएं महंगी होने साथ साथ कानून काफी कठोर है इसलिए दुनिया भर से बड़ी संख्या में लोग भारत मे इलाज कराने आते हैं और उन्हें मानव अंगों की आवश्यकता पड़ती है तस्कर उनसे मोटी रकम लेकर लोगों के अंग निकालकर उन्हें उपलब्ध कराते हैं 

चमड़े , बाल और बिकती हैं हड्डियां 

लोगों को लगता है की सिर्फ किडनी , लीवर की जरूरत के चलते अपहरण की वारदातें होती हैं जबकि ह्यूमन ट्रैफिकिंग रिसोर्ट , ह्यूमन ट्रैफिकिंग रिसर्च ऑफ इंडिया की वेबसाइट के अनुसार आँख , किडनी ,लीवर निकालने बाद तस्कर बड़े पैमाने पर चमड़े , नाखून और हड्डियों को बेचते हैं उनसे बने उत्पादों की मांग विदेशों में बड़े पैमाने पर है जिससे पूरा शरीर गायब हो जाता है 

बच्चों का व्यापार

देश मे बच्चों को अगवा कर उनसे भीख मंगवाना और उन्हें विदेशों में बेचने जैसे गैंग देश मे हमेशा सक्रिय रहते हैं ये घटनाएं हमेशा बढ़ती रही हैं लेकिन सरकार हमेशा कुछ समय के लिए ही सक्रिय होती है 

महिला आयोग , बाल संरक्षण कमेटियों और NGO

देश मे महिला आयोग और बाल संरक्षण के नाम पर सरकारी अनुसार प्राप्त संस्थाये हैं हजारों NGO ( गैर सरकारी संगठन ) है जो जनता से इन कामों को रोकने के नाम पर करोड़ों , अरबो रुपये का डोनेशन लेते हैं वो कितने सक्रिय हैं वो सिर्फ फाइलों तक सीमित है जब कुछ बदलाव नही हो सकता है तो क्यों ना इन्हें बंद कर दिया जाये , सरकारी पैसों से महंगी गाड़ियों और बंगलों में रहने वाले एक आदमी और उनके गायब हुए बच्चों का दर्द कैसे समझ सकते होंगे , इनमें और राजनीतिक दलों के संरक्षण में पल रहे देहव्यापरियो और तस्करों में कोई अंतर नही है उम्मीद की आस में देश की आदमी की मरती उम्मीद के लिए ये भी जिम्मेदार हैं 

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