अयोध्या : मामला जनपद के राजकीय परिवाहन चालक संघ से जुड़ा है जिनके कार्यालय के नाम पर कलेक्ट्रेट परिसर से लेकर पीडब्लूडी कार्यालय तक चार से अधिक जगहो को आरक्षित किया गया है इन चालक संघ के कार्यालयों के रख रखाव मे जो खर्च आता है वह किस मद से प्रायोजित होता है इसकी जानकारी किसी को नही है पीडब्लूडी कार्यालय क्षेत्र मे चालक संघ का एक कार्यालय और पार्किंग है जानकारी के अनुसार वहाँ दिन भर संघ के चालक दिन भर बैठकर पंचायत करते है और धूप का आनंद लेते है दूसरा और तीसरा कार्यालय अधिशासी अभियन्ता कार्यालय क्षेत्र लोक निर्माण विभाग खण्ड -4 में है जो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आवास से 30 कदम की दूरी पर है चौथा कार्यालय जिलाधिकारी कार्यालय के सामने शेड/ बरामदा नंबर -28 से सटा है जिसकी समय - समय पर रंग- रोगन होता है जो कलेक्ट्रेट परिसर मे बिना जिलाधिकारी की अनुमति नही मिल सकता है मिला तो है लेकिन हमेशा बंद रहता है ये सभी गतिविधियां वर्षों से होती रही है लेकिन जिला प्रशासन को अपने सामने ही हो रही ये सारी गतिविधियां दिखाई नही देती हैं
नियमो को ताक पर किये गए कार्य, जमकर हुई सरकारी राजस्व की लूट
रिपोर्ट के अनुसार चालक संघ मे अधिकतर पीडब्लूडी के ही चालक है संघ के जिला अध्यक्ष का रुतबा इतना है कि अध्यक्ष किस अधिकारी का वाहन चलाता है और किस अधिकारी के उसकी मासिक रिपोर्ट पर हस्ताक्षर होते हैं जिससे उनकी तनख्वाह दी जाती है ये किसी को पता नही है मतलब ये है कि बिना कोई वाहन चलाये ही अध्यक्ष रविंद्र प्रताप को वर्षों से सरकारी राजस्व से तनख्वाह दी जाती है
कैसे मिला मकान सब जन हैं हैरान
अध्यक्ष रविंद्र प्रताप का व्यक्तिगत सरयू बिहार कालोनी मे मकान बना है जो पीडब्लूडी कार्यालय से मात्र 3 किलोमीटर दूर है मात्र 4 किलोमीटर दूर मऊ शिवाला मऊ यदूवश पुर में पैतृक आवास है लेकिन सुरसरि पुरी कालोनी मे उन्हे सरकारी कमरा मिला है अब समझिये कि चालक संघ का कितना रसूख होगा कि वर्षों से कुछ लोग नियमो की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं और शासन - प्रशासन को भनक तक नही है जबकि महंत योगी आदित्यनाथ आपराधिक कृत्यो मे शामिल लोगों पर कड़ी कार्यवाही का आदेश समय- समय देते रहते हैं लेकिन अयोध्या के डीएम लगातार सरकार विरोधी लोगों पर ध्यान ना देकर उनका बचाव करते रहे हैं अब देखना ये है कि इस पूरे प्रकरण पर प्रशासन की क्या कार्यवाही हो सकती है