स्वास्थ्य विभाग मे ट्रांसफर -पोस्टिंग के नाम पर भ्रष्टाचार का नंंगा नाच, जिला कार्यक्रम समन्वयक तक पहुँच सकती है आँच

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 अयोध्या : जिले के टीबी विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल लम्बे समय से खेला जा रहा है विभाग में बिना मुख्य चिकित्सा अधिकारी से अनुमोदन लिए जिला क्षय रोग अधिकारी ने संविदा पर कार्यरत सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजरों का स्थानांतरण कर दिया ट्रांसफर पोस्टिंग के इस खेल में जिला क्षय रोग अधिकारी को जिन कर्मचारियों ने सुविधा शुल्क दिया उनका स्थानांतरण किया गया और जिन लोगों ने सुविधा शुल्क नहीं दिया उन लोगों का मनमाने ढंग से स्थानांतरण कर डाला गया

जिले के टीबी विभाग में सुविधा शुल्क वसूली का खेल पहले से ही चल रहा है जिसकी शिकायत संविदा कर्मियों ने पहले ही की थी और विभाग के अधिकारीयों पर आरोप लगते रहे है शिकायत की जांच पहले से सीएमओ डा संजय जैन की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी कर ही हैं कि नया मामला सामने आया है, क्षय रोग अधिकारी डा आरके सक्सेना ने बिना सीएमओ से अनुमोदन लिए ही पांच सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजरों का स्थानांतरण कर दिया जबकि जिला क्षयं रोग अधिकारी को इस प्रकार के स्थानांतरण करने का अधिकार नहीं दिया गया है। जनपद में सीएमओ ही एसटीएस का स्थानांतरण कर सकता है। किन्तु यहां बिना अधिकार के ही स्थानांतरण कर दिया गया, अनधिकृत रूप से किए गए स्थानांतरण के बारे में अधिकारी द्वारा बताया जा रहा हैं कि पूर्व सीएमओ से मौखिक अनुमोदन मिला था। उनके कार्यालय में लिखित रूप से कोई अनुमोदन नहीं है आरोप है कि ट्रांसफर पोस्टिंग के इस खेल में वीडियो के साथ जिला कार्यक्रम समन्वयक का भी गठजोड़ भूमिका है पूर्व सीएमओ रहे डा अजय राजा के कार्यकाल में भी डीटीओ पर आरोप लगते रहे हैं आरोप है कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के लिए की गई कम्प्यूटर, लैपटॉप व अन्य सामानों की खरीद प्रक्रिया में टेंडर से लेकर खरीद में भी भ्रष्टाचार का बड़ा खेल हुआ था बाद में प्रकरण सामने आने पर सामानों को आपूर्ति करने वाली संस्था को बदल दिया गया, पोस्टिंग - ट्रांसफर मामले मे कर्मचारियों से वसूली की रकम अधिकारियों के द्वारा मांगी जाती थी वसूली के लिए कर्मचारियों को मानसिक प्रताड़ना भी दी जाती है उनको स्थानांतरण कर देने व विभाग से निकालने की धमकी दी जाती है मामले के हाई प्रोफाइल होने से मामले मे लीपापोती होने की पूरी आशंका है क्योंकि ऐसा पहले भी हो चुका है, सरकार कोई भी भ्रष्टाचारियों का खेल जारी रहता है अगर किसी तरह पोल खुल भी गई तो मामले को दबा दिया जाता है मामले मे 18 शिकायतकर्ताओं ने दी है शिकायत, 17 ने मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय मे जांच कमेटी के सामने अपने बयान दर्ज कराये हैं

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