मुगलो ने उड़ाई कानून की धज्जियाँ, त्यौहार के नाम पर सड़क को बंधक बनाकर पढ़ी नमाज

Thejournalist
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 मेरठ : मामला जनपद ईदगाह चौराहे का है जहाँ इस्लामिक और मुगल रमजान का पाक महिना पूरा होने के बाद सड़क को जाम कर स्वयं को शांतिप्रिय बताने वाले लोगों ने नमाज़ अता की जबकि जिस रास्ते को जाम करके नमाज़ पढ़ी गई वह सार्वजनिक रास्ता है और सार्वजनिक स्थानों व सड़कों पर अवैध कब्जा कर इबादत करने पर प्रतिबंध है प्रतिबंध के बावजूद कानून की धज्जियां उड़ाते हुए मुस्लिम (मुगल) समाज द्वारा नमाज़ अदा की गई 

और प्रशासन मूकदर्शक बना रहा ,पुलिस प्रशासन द्वारा अभी तक पूरे मामले पर किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई है ऐसी घटनाएं अमूमन देखने को मिलती रहती हैं जहाँ सड़कों को जाम कर मजहब के नाम पर इबादत की जाती है क्योकि ऐसा करना प्रतिबंधित है जिससे प्रशासन द्वारा इसकी अनुमति भी नही ली जा सकती है, अगर कोई सवाल उठाता तो बोल दिया जाता है कि मस्जिदो और ईदगाहो में जगह कम थी, तब सवाल ये भी उठता है कि सबको मस्जिदो और ईदगाहो में सड़क जाम कर नमाज़ क्यो पढ़नी ? जब अल्ला सब जगह है तुम्हे देख रहा है अपने घर मे नमाज़ क्यो नही अता फरमाते हैं कौम के लोग? अल्ला तो गैर मुस्लिमों (काफ़िरों) से नफ़रत करता है , तुम मोमिन हो अल्ला के प्यारे हो तो तुम्हे सड़क या सार्वजनिक जगहो पर नमाज़ पड़ने क्या जरूरत है? आखिर प्रशासन को कौन सा खौफ़ कि वो प्रतिबंध होने के वावजूद ऐसा होने देती है कारण है, नफ़रती विपक्ष के कुछ नेताओ , इस्लामिक और मुगल कट्टरपंथी जो इन पर कार्यवाही को बदले की भावना से किया गया कार्य बताते हैं और अल्पसंख्यको का शोषण और मजहब का अपमान बताकर कौमी समाज को दंगे या संप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए उकसाते हैं ,ऐसा नहीं कि ऐसा पहली बार है और आगे नही होगा,ऐसा होता रहेगा , कानून बनाकर सिर्फ सभ्य नागरिको को ही गलत कृत्य करने से रोका जा सकता है राजनीतिक दलों के नेताओ और उन्मादियो को नही

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