अयोध्या : जनपद के वरिष्ठ नागरिक ने उच्च न्यायालय के जजों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है थानाध्यक्ष कोतवाली नगर को लिखे और the journalist को प्राप्त उनके प्रार्थना पत्र के अनुसार,प्रार्थी मोहम्मद अली उर्फ अली बाबा,) पुत्र स्व० जमीयत अली, मूल निवासी भवन संख्या - 1/14/110 मोदहा सिविल लाइन्स, थाना- कोतवाली नगर, जनपद- अयोध्या का रहने वाला है। वर्तमान घटना माननीय अपर मुख्य - न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम फैजाबाद में विचाराधीन परिवाद संख्या - 5111/2016, मो0 अली उर्फ अलीबाबा-प्रति-कनीज फातिमा आदि में दिनांक-12-01-2017 को पारित आदेश के द्वारा अभियुक्त कनीज फात्मा आदि को धारा-448, 427 भा० द० सं० के अपराध में विचारण हेतु तलब किया, तो इस तलबी आदेश को अपास्ट कराने की मंशा से उपरोक्त अभियुक्तगण माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद (लखन खण्डपीठ) लखनऊ में धारा-482 4090 सं0 के अन्तर्गत केस नम्बर- 854/2018, कनीज फातिमा आदि-बनाम-स्टेट आफ यू०पी० आदि.
दिनांक- 15-02-2018 को मय शपथपत्र दाखिल किया, परन्तु उक्त शपथपत्र में अभि साक्षी-पैरोकार जावेद खाँ ने दावा पेश किया कि वे पिटिशनर नम्बर- (कनीज फात्या) की पत्नी है, जबकि यह मिथ्या है सत्य यह है कि, पिटिशनर कनीज फातिमा, अभि साक्षी-पैरोकार की पत्नी है प्रश्नगत शपथपत्र के प्रस्तर-9 में दूसरा मिथ्या दावा यह किया कि पिटिशनर ने भवन संख्या-1/14/2051 जिसका पुराना नम्बर - 1/14/110 था, को दिनांक-13-01-2012 को खरीदा है। किन्तु उसे किससे खरीदा है, इस तथ्य को छुपा ले गए। प्रश्नगत मिथ्या शपथ पत्र के तथ्यों को बिना जांचे-परखे सम्बन्धित कोर्ट में कार्यरत विपक्षी (जस्टिम) चन्द्रधारी सिंह ने उक्त पिटिशन को मय कास्ट खारिज करने के साथ मिथ्या शपथपत्र न्यायिक कार्यवाही के क्रम में अपराध का मामला दर्ज करने की बजाए किसी सदोष प्रभाव में आकर अपने न्यायिक मष्तिष्क का प्रयोग किए बिना अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतते हुए मुझ प्रार्थी के नाम नोटिस इशू कर दिया। उक्त नोटिस प्राप्त होने के पश्चात प्रार्थी न्यायालय का सम्मान करते हुए लखनऊ जाकर जवाब दाखिल करने के लिए अधिवक्ता को फीस देकर, कागजात तैयार करने का खर्चा अलग से देकर बार-बार लखनऊ गया, दौड़कर मुझे आर्थिक क्षति उठानी पड़ी, मानसिक व शारीरिक क्षति जो उठानी पड़ी उसकी गणना ही की नहीं जा सकती है। दिनांक 20-02-2018 से (लगभग तीन वर्ष, एक माह से अधिक समय पश्चात) अंतिम सुनवाई दिनांक- 16-03-2021 को कोर्ट में मामला बिगड़ा देख उपरोक्त अपीलांट के कहने पर अपिलकर्ता की ओर से पेश विद्वान, मगर चालाक वकील ने कोर्ट से यह प्रार्थना किया कि वे इस अप्लीकेशन की मेरिट पर बल नहीं देना चाहते हैं, उन्हें सम्बन्धित अवर न्यायालय में डिसचार्ज अप्लीकेशन प्रस्तुत करने की अनुमति दे दी जाए उपरोक्त अपील कर्ता की इस प्रार्थना पर विपक्षी (जस्टिस) राजीव सिंह के द्वारा यह जानते हुए कि इस स्तर पर डिस्चार्ज अप्लीकेशन अवर न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की जा सकती, अनुमति देकर विधि के निर्देश का घोर उल्लंघन करके संज्ञेय अपराध कारित किया हैं, मुझ प्रार्थी को अनावश्यक रूप से मानसिक व शारीरिक तथा आर्थिक रूप से क्षति पहुँचाने का आपराधिक कृत्य कारित किया है ,जिसके लिए जस्टिस राजीव सिंह, जस्टिस चंद्र धारी सिंह , जावेद खां, कनीज फात्मा व अजमत उल्ला पर एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की मांग की है