तेलंगाना ~कथित संविधान निर्माता भिमराव सकपाल ने कहा था मेरी मूर्तियां मत लगवाना लेकिन आज उनके स्वघोषित समर्थन उनकी बात को अनसुना कर विवाद खड़ा करने का प्रयास करते हैं ऐसा ही एक मामला तेलंगाना के कामारेड्डी जिले के नाल्लमडुगु गांव में हनुमान मंदिर के ठीक सामने मुख्यद्वार पर डॉ. बीआर सकपाल की प्रतिमा स्थापित की गई है। गांव के बहुसंख्यक OBC हिंदुओं ने प्रतिमा को मंदिर के सामने स्थापित किए जाने का विरोध किया था किंतु प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद प्रतिमा मंदिर के सामने ही स्थापित की गई।
दरअसल मामले की शुरुआत दो साल पहले हुई। जब नल्लामडुगु गांव की अनुसूचित जाति के लोगों ने हनुमान मंदिर के निकट गांव में डॉ बी आर अंबेडकर की मूर्ति के निर्माण के प्रस्ताव के साथ ग्राम पंचायत से संपर्क किया था। जिसके बाद ग्राम पंचायत ने 23 दिसंबर 2019 को अपने संकल्प में डॉ भिमराव सकपाल की प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया गया
जबकि गांव में रहने वाले अन्य पिछड़ी जाति (OBC) के लोगों ने मंदिर के सामने प्रतिमा लगाने का विरोध किया था। गाँव के दलितों ने आरोप लगाया कि, जब 20 मार्च 2020 को उन्होंने प्रतिमा स्थापित करने की कोशिश की तो गाँव के अन्य पिछड़ी जाति (OBC) के लोगों ने उनका विरोध किया और जातिसूचक शब्द बोले। जिसके बाद दलितों ने लिंगमपेट थाने में एक शिकायत दर्ज़ करवाई थी। जिसपर पुलिस ने एफआईआर नंबर 40/2020 U/S 506 आईपीसी R/W 34 आईपीसी U/S 3 (1) (आर) (एस) 3 (2) (वीए) एससी और एसटी एक्ट 1989 दर्ज किया।
जिसके बाद दलितों ने 4 अप्रैल 2020 को फिर हमले और जातिसूचक शब्द कहने का आरोप लगाया और शिकायत दर्ज़ करवाई। जिसकी एफआईआर 47/2020 लिंगमपेट थाने में दर्ज़ हुई। इस मामले में एक कथित बौद्ध दलित वकील ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को शिकायत दर्ज़ कर हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि गाँव के बहुसंख्यक अन्य पिछड़ी जाति (OBC) के लोग दलितों को हनुमान मंदिर के सामने प्रतिमा स्थापित नहीं करने दे रहे है। तथा दलितों का कथित तौर पर सामाजिक बहिष्कार भी किया गया है।
पीड़ितो का आरोप है कि उन्हें झूठे SC/ST में फसाया गया है एक कथित अधिवक्ता द्वारा उन्हें पहले भी झूठे मुकदमों में फ़साने की कोशिश की गई थी भिमराव सकपाल के नाम पर बेगुनाह लोगों पर फ़र्जी मुकदमे दर्ज कराना और उन्हें प्रताड़ित करना दुर्भाग्यपूर्ण है ये समाज को तोड़ने की साजिश अंबेडकरी लोगो द्वारा हो रही है जो खुद डॉ सकपाल के नियम नही मानते हैं