अब वकील नही कर सकता पत्रकारिता, सुप्रीम कोर्ट हुआ सख़्त,हजारों आएंगे जद में इस तरह होगी कार्यवाही, मच गया है हड़कंप

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फ़ेक न्यूज़ अलर्ट / फैक्ट चेक Fake News Alert / Fact Check


सोशल मीडिया फेसबुक, वॉटसएप , ट्विटर जैसे प्लेटफार्म पर और साथ ही न्यूज़ चैनलो व समाचार पत्रों के समूहों मे कई मैसेज तेजी से वायरल हो रहें हैं जिसमें दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने वकीलो को पत्रकारिता पेशे से दूर रहने का आदेश दिया है या वकील स्वय को अधिवक्ता ही बोल सकते है या पत्रकार एक अलग दावे के अनुसार न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि वकील दो पद नही ले सकते है न्यायालय ने BCI ( बार कौंसिल ऑफ इंडिया ) और उत्तर प्रदेश बार कौंसिल की नियमावली के अनुसार कार्य वाही के आदेश दिये हैं

वायरल मैसेज को जांच करने के लिए हमारी टीम ने पड़ताल शुरू की जिसमें हिंदी दैनिक समाचार पत्रों व वेबसाइट पर कई मैसेज मिले सभी मैसेज उन्हीं लेखों के हिस्से थे जिसे बड़ी ही चालाकी से तथ्यों को छिपाते हुए अर्धसत्य के साथ भ्रामक तरीके से वायरल कराया गया 


मामले मे देश की सर्वोच्च अदालत ( सुप्रीम कोर्ट) एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें मोहम्मद कामरान नाम के एक वकील ने पूर्व सांसद व भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन व मुख्य सचिव को पत्र लिखे जिसमे शिकायतकर्ता के बारे मे बताया गया था कि उसके खिलाफ कई आपराधिक वाद लंबित हैं ,शिकायतकर्ता ने न्यायालय को बताया कि बृजभूषण शरण सिंह ने उन्हें सोशल मीडिया मे बदनाम किया और अखबारों मे उनके खिलाफ खबरें छपवाई , इसके पहले हाईकोर्ट इलाहाबाद ने शिकायतकर्ता की अपील को ख़ारिज कर दिया था जिस पर मोहम्मद कामरान सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था, शिकायतकर्ता स्वय को न्यायालय मे कभी पत्रकार कभी अधिवक्ता बता रहा था जिस पर न्यायमूर्ति अभय एस ओका व न्यायमूर्ति आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने शिकायतकर्ता के बयान पर संदेह किया और वायरल सभी टिप्पणीयां की जो पूर्णतया व्यक्तिगत थी, उच्चतम न्यायालय ने शिकायतकर्ता के खिलाफ BCI ( बार कौंसिल ऑफ इंडिया ) और उत्तर प्रदेश बार कौंसिल से रिपोर्ट तलब की है लेकिन शिकायतकर्ता ने अपने बचाव मे सर्वोच्च अदालत को बताया कि वह बिना लाभ के निस्वार्थ भाव से पत्रकारिता करते हैं न्यायालय ने पूछा कि उक्त व्यक्ति पर क्या कार्यवाही हो सकती है, न्यायालय दूसरे मामले की सुनवाई कर रही थी , अब वकील नही कर सकता पत्रकारिता जैसे तथ्यों के खिलाफ न्यायालय ने कोई आदेश जारी नही किया है , अगर कोई जारी किया जाता है तो मान्यता प्राप्त पत्रकारिता के साथ वकालत कर रहे व्यक्तियों पर कार्यवाही सुनिश्चित हो सकती है कि क्योंकि मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सरकारी सुविधाएं, अनुदान, राज्य सरकारों के परिवहन विभाग मे निशुल्क यात्रा, नकद भत्ते दिये जाते हैं जबकि देश के 98% पत्रकारों को कोई सुविधा, भत्ता या सुविधा नही मिलती है जिस लोगों को सुविधाओं, भत्ता, सैलरी मिलती है वह समाचार पत्रों, न्यूज़ चैनलों के कार्यालयों मे निर्धारित समयावधि मे नौकरी करते हैं उनके अलावा किसी को लाभ, भत्ता या सुविधाएं नही दी जाती हैं विधि व्यवसाय ( वकालत) भी एक स्व वित्त पोषित व्यवसाय है कोई भी सरकार व्यक्तिगत सेवा देने वाले वकील स्वय के खर्च से शिक्षा और पंजीकरण करवाते है उन्हें कोई भी अनुदान, भत्ता या कोई सरकारी सुविधाएं नही मिलती है अधिवक्ता समाज के सबसे बुद्धिजीवी व्यक्तियों मे होता है अगर कोई अधिवक्ता किसी पंजीकृत संस्था, समाचार पत्र, चैनल मे निशुल्क, निस्वार्थ सेवा देता है या लेख या संपादन मे लोक हित या जन हित कार्यो मे सहयोग देता है तो उसे नियम विरुद्ध होने का दावा किया जा सकता है, ऐसा नही कि सिर्फ़ अधिवक्ताओं को अन्य व्यवसाय करने पर रोक है लेकिन ये नियम सरकारी नौकरी करने वालों और जज, मजिस्ट्रेट और जस्टिस पर लागू होते है मगर समाजसेवा ( लोकहित ) कार्य करने का अधिकार भारत के हर नागरिक को संविधान देता है भारत के कई जस्टिस किसी सस्था ( NGO) के लिए अगर वृक्षारोपण करते है कोई समाजसेवी संस्था उन्हे अपना संरक्षक बना देते है, देश मे कई अधिवक्ता है जो विधानसभा, राज्य सभा, लोक सभा सदस्य है वो सैलरी, भत्ता के साथ समस्त सरकारी अनुदान , सेवा का उपभोग करते है जिसमें से कुछ देश के कानून मंत्री रह चुके है लेकिन सिस्टम की खामियां उजागर करने वाले, लोक हित और बिना सैलरी लिए किसी जन हित कारी उपक्रम व संगठन से जुड़ने वाले अधिवक्ताओं को निशाना बनाया जाना आम बात है माफिया, दबंगो और अपराधियों को भी पत्रकारिता मे विधिक जानकार नही चाहिए जिससे उनके लिए समस्याए होती है, विधि की जानकारी नही होने पर आम पत्रकारों को फ़र्जी नियमो से डराया जा सकता है या अधिकारियों व पुलिसकर्मीयों द्वारा फ़र्जी मुकदमो मे नामित करना आसान होता है

फ़ेक न्यूज़ अलर्ट / फैक्ट चेक Fake News Alert / Fact Check, सुप्रीम कोर्ट, बृज भूषण शरण सिंह, वकील, पत्रकार

फ़ेक न्यूज़ अलर्ट / फैक्ट चेक Fake News Alert / Fact Check, सुप्रीम कोर्ट, बृज भूषण शरण सिंह, वकील, पत्रकार

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जानिए कौन होता है पत्रकार ? क्या है भारत मे पत्रकारिता ? 


भारत ही नही दुनिया भर मे पत्रकारिता अभिव्यक्ति का हिस्सा मात्र है भारत मे इसे भारतीय संविधान के अभिव्यक्ति को मौलिक अधिकारों की श्रेणी मे रखा गया है जो भारतीय पत्रकारिता की मूल स्तंभ है पत्रकारिता विश्व का सबसे बड़ा विषय है जिसका कोई सीमित क्षेत्र नही है देश ,राज्य , खेल, टेक्नोलॉजी, राजनीति, इतिहास जैसे महत्वपूर्ण पहलू, भूत, भविष्य, वर्तमान पर चर्चा और चिंतन सभी पत्रकारिता का हिस्सा है,भारत मे पत्रकारिता करने के लिए कोई शैक्षिक योग्यता अनिवार्य नही की गई है लेकिन डिप्लोमा व डिग्री प्राप्त करने के लिए देश की हर यूनिवर्सिटी मे बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन (BJMC ) बीजेएमसी कोर्स एक 3 वर्ष का स्नातक पाठ्यक्रम है जो पत्रकारिता और जनसंचार के विभिन्न पहलुओं जैसे रिपोर्टिंग, संपादन, समाचार लेखन और प्रसारण पत्रकारिता के लिए मुहैया कराया जाता है ये कोर्स उपलब्ध कराने का सीधा उद्देश्य रहा है कि युवाओं और छात्रों मे रिपोर्टिंग, संपादन, समाचार लेखन की एक बेहतर शैली स्थापित हो

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