ग्राहकों के अरबो रुपये है बैंकों के पास जिसे कोई लेने ही नही आता , ग्राहकों को नही सरकार को भी लूटते है बैंक

Thejournalist
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 Ayodhya : मामला बैंक ऑफ बड़ौदा सहित बैंकिग सिस्टम की नाकामी और ग्राहकों के साथ लूट - खसोच और शोषण से जुड़ा है शिकायतकर्ता के अनुसार उन का एक केसीसी अकाउंट ( किसान क्रेडिट कार्ड अकाउंट) शाखा बैंक ऑफ बदौड़ा की हैदरगंज शाखा खाता संख्या : 10570500002686 में है जिसमे 23 जून 2022 को 1 लाख और 25 जून 2022 को प्रार्थी ने 60 हजार रुपये जमा कराये जिसके बाद उसका कुल ऋण 12365 रुपये 18 पैसे बचा था बैंक द्वारा उस पर अनियंत्रित तरीके से 1 अक्तुबर 2021 से 24 सितम्बर 2022 तक 8923 रुपये का पूर्व के ऋण को जोड़कर व्याज लगा दिया और उस अतिरिक्त व्याज पर अब तक कई बार चक्रवृद्धि व्याज लगता आ रहा है शिकायतकर्ता को जब इसकी जानकारी हुई तो उसने बैंक शाखा और बैंक ऑफ बदौड़ा के कई अधिकारियों से बात की, लेकिन उसे समाधान बताने की जगह बैंक कर्मियों द्वारा गुमराह किया गया और सभी द्वारा अलग अलग बैंकिग नियम व प्रणाली बताकर वहाँ से टरका दिया गया, शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने जन सूचना अधिकार अधिनियम के अनुसार शिकायतकर्ता की तरफ़ से क्षेत्रीय कार्यालय बैंक ऑफ बड़ौदा देवकाली अपर महाप्रबंधक के कार्यालय से सूचनाएं मांगी तो बैंक अपनी क्षमता के बाहर आकर सूचनाएं प्रदान करने की जगह वकालतनामा मांग लिया जबकि किसी बैंक के पास इसका अधिकार नही है इनकी मनोस्थिति समझिये ये लोगों को गुमराह कर रहे है ग्राहकों को सूचनाएं/ जानकारी तक नही देना चाहते है ताकि इनकी जालसाजी जग जाहिर ना हो और लोग प्रताड़ित होकर इनकी मनमानी स्वीकार करे 

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कैसे सरकार को ठगते है बैंक ? समझिये


सरकार की तरफ से हमेशा अलग अलग योजनाएं / परियोजनाएं चलाई जाती है जिससे आम लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य,आवास के लिए कम व्याज पर कर्ज/ऋण  ( लोन ) मिलता है जिसका कुछ हिस्सा और शिक्षा ऋण जैसे मामलों मे  शिक्षा ग्रहण के समय के सभी व्याज केंद्र सरकार द्वारा बैंको को अदा किया जाता है बैंक व्याज तो सरकार से ले लेते है लेकिन उसे ग्राहकों के खातों मे भेजा नही जाता है और ग्राहकों को फर्जी / अनैतिक नियम और बैंक सिस्टम का हिस्सा बताकर परेशान करते है लोग कोर्ट तक जाते है और व्याज बढ़ता रहता है न्यायालयों के आदेश पर कुछ मामलों मे ग्राहकों को राहत मिल जाती है लेकिन अधिकतर सिस्टम से हारकर अपने जीवन भर की कमाई जमा करा देते है और बैंक होते है रहते हैं मालामाल


बैंको मे जमा अरबो रुपया कोई लेने को नही तैयार, गरीबों को लूटने की संस्थाए है बैंक


बैंको ने दबाव व मनमानी के कारण बैंक खातों मे मिनीमम बैंक रखने की सीमा तय कर रखी है जो सिर्फ़ गरीबो पर लागू होती है क्योंकि अमीरो के खातों मे लाखों, करोड़ों हमेशा जमा रहते हैं उनके बैंक खातों मे 1 हजार, 2 हजार, 5 हजार नही होता जिसे आवश्यकता पड़ने पर निकालने पर मिनीमम बैलेंस चार्ज कट सके , इसके अलावा बैंक खातों मे नॉमिनी ( वारिस ) दर्ज नही होने से करोड़ों खातों मे जमा अरबो रुपये जमा है जो सरकारी नियमो के पेचीदा होने के कारण बैंको को अमीर बना रहे है साथ ही लाखों खाते ऐसे भी है जिसमें 90% मामलों मे व्यक्ति कि मृत्यु के बाद कम रकम होने से उसे कोई क्लेम ही नही करता है, बैंक कर्मचारियों की अभद्रता आम बात है बैंकिग सिस्टम की लूट - ठगी के कारण लाखों मामले न्यायालयों मे भी लंबित हैं 

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