दलित गुंडों ने किया प्रताड़ित पिलाया मूत्र , युवक ने प्रताड़ित होकर कर ली आत्महत्या

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मध्य प्रदेश : के शिवपुरी जिले में 18 वर्ष के विकास शर्मा की आत्महत्या को एक वर्ष बीतने को है लेकिन पीड़ित परिजनों को अभी भी न्याय के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। आपको बता दें कि जिले के सजोर गाँव में वर्ष 2020 के मई माह में मंदिर में जल चढ़ाने जा रहे के ब्राह्मण युवक को दलितों ने बुरी तरह मारा पीटा था। वहीं आरोपियों ने जल चढ़ाने के लोटे में अपना मूत्र भरकर विकास को जबरन पिलाया भी था जिससे क्षुब्ध युवक ने घर जाकर फांसी लगा ली थी


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 जब पीड़ित युवक के पिता सुशील शर्मा से बातचीत करी तो उन्होंने हमें अपनी आपबीती बताई। पिता ने बताया कि उनका आरोपियों के परिवार से दो वर्ष पुराना एक विवाद था। लेकिन वह उनके भतीजे से था जिससे उनका कोई सम्बन्ध भी नहीं है। घटना के दिन विकास पास में बजरंगबली के मंदिर में जल चढ़ाने गया था। सुबह के करीब 9 बज रहे थे। मंदिर के पास ही एक हैंड पंप भी है। जहां पहले से मौजूद तारावती व प्रियंका कोली अपने बर्तन धुल रही थी। विकास ने जब हैंडपंप से अपना लोटा धोया तो छींटे उनके बर्तनो पर पड़ गए जिसपर तारावती ने विकास को एक थप्पड़ जड़ दिया था। थप्पड़ मारने पर विकास ने कहा कि मुझे मारो नहीं वह बर्तनो को धुल देगा। वहीं पीछे से तारावती का देवर मनोज भी आ गया। जिसने विकास को जातिसूचक गालिया देते हुए उसके बाल पकड़कर उसे घसीटा और कहा कि मेरे निजी अंग पर पानी चढ़ा दें भगवान खुश हो जायेंगे


उन्होंने पहले तो विकास को मारा पीटा उसके बाद भगवान को जल अर्पित करने वाले लोटे में अपना पेशाब कर उसे जबरन पिला दिया। घटना से क्षुब्द युवक घर आ गया। जिसके बाद करीब 11 बजे उसने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली।

आत्महत्या से पहले युवक ने लिखा पत्र 






“मेरे मुंह में पेशाब कर तुमने मुझे अपवित्र कर दिया, तुम भी मेरी तरह तड़प तड़प कर मरोगे”
विकास शर्मा ने बिना घरवालों को बताये अपनी जान दे दी। सुसाइड लेटर में पुरे प्रकरण का जिक्र करने के बाद विकास ने अपने माता पिता से फांसी लगाने पर माफ़ी मांगी है। विकास ने साथ ही कहा कि उसके मुंह में पेशाब कर आरोपियों ने उसे अपवित्र कर दिया था। जिसके कारण उसने आत्महत्या करने जैसा कदम उठाया था। साथ ही श्राप देते हुए विकास ने आरोपियों को उसकी तरह तड़प तड़प कर मरने की बात भी लिखी थी।


सिर्फ एक माह में छूटे आरोपी नहीं मिला कोई मुआवजा
तीनो दलित आरोपियों को मात्र एक महीने में ही जमानत मिल गई जिसके बाद से वह गाँव में खुले आम घूम रहे है। पीड़ित परिवार आज भी अपने दुलारे को याद कर रोने लगता है। वहीं पिता ने पुरे प्रकरण को बताने में साहस तो भरा लेकिन वह भी आत्महत्या की बात सुनाते सुनते फफक फफक कर रो पड़े। मुआवजे की बात पर उन्होंने बताया कि ब्राह्मण संगठनों ने मुआवजे को लेकर नरोत्तम मिश्रा को पत्र लिखा था जिसपर आज तक कोई जवाब नहीं आया। कोई भी संगठन या नेता आज उन्हें ब्राह्मण होने की वजह से मदद करने को आगे नहीं आ रहा है।

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